रेलवे स्टेशन के बोर्डों पर समुद्र तल से औसत ऊँचाई क्यों लिखी होती है?
यह प्रश्न सभी रेल यात्रियों के लिए है! 😀
ट्रेन ट्रैवल के दौरान, क्या आपने कभी सोचा है कि रेलवे स्टेशन के बोर्डों पर ‘औसत समुद्र तल’ क्यों लिखा होता है?
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नहीं? क्या आप यह जानने के लिए उत्सुक हैं ? तो हमारे पास आपके लिए इसका जवाब है। पढ़ते रहिए:
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हिंदी, अंग्रेजी और एक स्थानीय भाषा में रेलवे स्टेशनों के नाम के साथ पीले रंग के साइनेज पर समुद्र तल से स्टेशन की ऊँचाई का उल्लेख रहता है। यह यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।
बेहतर ढंग से समझने के लिए इस चित्र को देखें:
ऐसा क्यों है और इससे कैसे मदद मिलती है?
इसके तीन कारण हैं!
सबसे पहले, जब भारत में शुरुआती रेलवे स्टेशन बनाये जा रहे थे, तो समुद्र के औसत तल को जानने से स्टेशनों को बनाने और ट्रैक बिछाने में मदद मिलती थी जिससे बाढ़ और उच्च ज्वार से बचा जा सकता था।
दूसरा, समुद्र तल से ऊँचाई की जानकारी का उपयोग स्टेशन के पास भवन निर्माण की योजना बनाने के लिए किया गया।
और तीसरा, यह संकेत ट्रेन चालकों को इस बात की जानकारी देती थी कि वे किस ऊँचाई पर यात्रा कर रहे थे, जिससे उन्हें ट्रेन की शक्ति और चलने की गति के बारे में निर्णय लेने में मदद मिलती थी।
उदाहरण के लिए, जब ट्रेन समुद्र तल से 100 मीटर की ऊँचाई से 200 मीटर की ऊँचाई पर जाती है, तो ट्रेन चालक को यह पता चल जायेगा कि यात्रा को सुचारू रूप से चलाने के लिए उसे कितनी शक्ति बढ़ानी होगी।
इसी तरह, जब कोई ट्रेन समुद्र तल से एक निश्चित ऊँचाई से नीचे आती है, तो ट्रेन चालक दो स्टेशनों के बीच गति को बनाये रखने के लिए पीले संकेतों का उपयोग करता है।
आधुनिक तकनीक के आने से यह तीसरा कारण अब लागू नहीं होता। आज ट्रेन की गति की योजना और निगरानी पहले से की जाती है, जो समुद्र के औसत स्तर के अलावा कई अन्य कारकों से प्रभावित होती है, जैसे यातायात, मौसम, दिन का समय, आदि। यही कारण है कि आप नये रेलवे स्टेशनों में औसत समुद्र स्तर लिखा हुआ नहीं पायेंगे।
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आपकी यात्रा सुखद हो!
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