रेलवे ने ट्रेनों में स्वच्छता बेहतर करने के लिए बायो-टॉयलेट्स की संख्या में की वृद्धि

ट्रेन के डिब्बों में साफ़-सफ़ाई को बेहतर करने के लिए रेलवे द्वारा बायो-टॉयलेट्स लगाए गए हैं। यह बायो-टॉयलेट्स, रेलवे पटरियों पर सीधे मल त्याग को समाप्त करने में मददगार साबित हो रहे हैं।

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जनवरी 2011 में 31 कोचों में सिर्फ 57 बायो-टॉयलेट्स लगाए गए थे, वहीं अब लगभग 61,500 पैसेंजर कोचों में 2.2 लाख से अधिक बायो-टॉयलेट्स लगाए जा चुके हैं।

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इन बायो-टॉयलेट्स की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. बायो-वैक्यूम: यह प्रणाली मानव अपशिष्ट को बायोडिग्रेडेबल टैंक में डिस्चार्ज करती है। इससे पानी की खपत और खराब गंध कम करने में मदद होती है।

2. ट्रॉली-माउंटेड मोबाइल सीवेज निकासी मशीन: ट्रेन के डिब्बों से अपशिष्ट पदार्थों को सुरक्षित तरह से निकालने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। इसकी सहायता से कर्मचारी, अपशिष्ट पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से बचे रहते हैं।

3. स्टीम ट्रैप और डस्टबिन: शौचालय स्टेनलेस स्टील डस्टबिन से सुसज्जित हैं। इसके अलावा, स्टीम ट्रैप लगाए गए हैं ताकि यह बात सुनिश्चित की जा सके कि बायो टैंक ओवरफ्लो ना हो।

4. वायरलेस ऑटोमैटिक क्लॉग डिटेक्शन प्रणाली: इस प्रणाली में सेंसर लगे हैं जो शौचालयों में चोकिंग का पता लगाते हैं और एसएमएस के जरिए तुरंत ऑन-बोर्ड सफ़ाई कर्मचारियों को सचेत करते हैं।

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